Wednesday, May 4, 2011

एक सपना..

 
यूँ तो कितने किस्से हैं, जो आज भी दिलो दिमाग मैं ताज़ा हैं.. उनमें से एक किस्सा मैं यहाँ पेश करने जा रही हूँ.....
 
 मैं कुछ 3 या 4 साल की होंगी.. छोटी ही थी.. कुछ ज़यादा समझ तो होती नहीं है...
 
"पन्तनगर (नेनीताल के पास)  की बात है,  मेरे नानाजी रहने आये हुए थे.
 यह किस्सा बताने से पहले, एक बात बताना चाहूंगी, अगर आप किस्सी भी छोटे से बच्चे से पूछें  की बेटा बड़े होकर क्या बनोगे,  तो कोई कहता है,  मैं डॉक्टर या इंजिनियर या टीचर बनूँगा / बनूँगी ....
 
पर जब  मेरे नानाजी ने पुछा की -  
रचना बेटी - तुम बड़ी होकर क्या बनोगी?
तो मैंने कहा - नानाजी मैं बड़े होकर मम्मी बनूँगी.... 
तो नानाजी हंस कर बोले की,  वो तो तुम बनोगी ही,  उसके अलावा क्या बनोगी..
पर मेरा उत्तर तब भी वोही था.
 
यह सपना कभी न कभी तो पूरा होगा... मुझे विश्वास है...

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