Tuesday, March 15, 2011

तुम बहुत याद आते हो....

बात उन दिनों की है, जब हम रामपुर मैं रहा करते थे, मैं 6th class मैं थी. रामपुर शहर उत्तर प्रदेश मैं आता है, दिल्ली से 5 घंटे दूर.
उन दिनों ज़िन्दगी कुछ और ही थी, रोज़ सुबह जल्दी तैयार होकर, स्कूल जाना, फिर घर आकर थोडा सोना और फिर पढाई करना, शाम को बिल्डिंग की लड़कियों के साथ घर की छत पर खेलना...खूब मौज मस्ती, किसी बात की कोई चिंता नहीं...
 
सर्दियौं की बात है, ऐसे ही एक दिन मैं स्कूल से घर आई, तो देखा पापा के एक दोस्त और पापा, घर के आँगन मैं बैठे चाय पी रहे थे, पर वो दोनों अकेले नहीं थे, कोई और भी था, उन दोनों के साथ... और वो था एक बहुत ही प्यारा सा, छोटा सा, कुत्ता... भूरे रंग का...
 
मैंने झट अंकल से पुछा- अंकल यह कुत्ता आपका है क्या?
तो अंकल हंस कर बोले - नहीं रचना, आज से यह doggy  तुम्हारे पास रहेगा....
यह सुनना था, और मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, मैं तो ख़ुशी से उचल पड़ी, जैसे सारे जहाँ की खुशियाँ मुझे मिल गयी हों......भाग कर गयी, और उसे गोदी मैं ले लिया, जैसे कोई बिचड़ा हुआ साथी मिल गया हो....
 
वैसे घर मैं, मेरे अलावा किसी को कोई जयादा ख़ुशी नहीं हुई...क्यूंकि मुझे तो सिर्फ उसे प्यार करना था... बाकी उसके सारे काम तो मम्मी को ही करने थे न :)  :), मम्मी का बोलना था, की रख तो लिया है.. लेकिन उसकी साड़ी गन्दगी तो मुझे ही साफ़ करनी है न.. तुम लोग तो कुछ करोगे नहीं.....   :)... वैसे मम्मी का बोलना बिलकुल ठीक था.....पर हाँ उसके आने से  सब ही खुश थे....
 
खैर, दोपहर से शाम हुई.... तो यह लगा की, इसको कहाँ सुलायेंगे....सर्दियौं के दिन वैसे ही थे.... तो पापा ने कहा- जो store room है.. उसमें इसका बिस्तर लगाते हैं... पापा और मम्मी दोनों ने पुरानी बोरियां बिछाई, उसमें एक सुन्दर सी चादर डाली, और चारों तरफ लकड़ी के साचे रख दिए.... और घर तैयार हो गया.... मम्मी ने उसके लिए एक बड़ा सा कटोरा निकाला और उसमें दूध-रोटी दी... और उसके सामने रख दी.. उसने झट से सब खा लिया... लगता था जैसे बहुत भूखा हो...
यह सब करते करते रात के 10 बज गए.. फिर मैंने उसको गोदी मैं लिया और उसके बिस्तर पर बैठा दिया, और प्यार करके वापस अपने कमरे मैं आ गयी... उस रात वो काफी रोया, नयी जगह थी ना ... इसलिए रात भर कूँ कूँ करता रहा...
 
अगले दिन सुबह का दिन sunday था.. यानी सब लोग घर पर ही थे... तो यह हुआ की इसका नाम क्या होना चाइये..काफी सोच विचार के बाद,. नाम रखा गया.. पीटर... peter....
फिर क्या था, रोज़ स्कूल से घर आने के बाद, उसे गोदी मैं लेकर खूब प्यार करती थी, उसे छत पर ले जाती थी.. खूब दौडाती थी.. उसके साथ खूब खेलती.. और वो भी, जब मैं स्कूल से घर आती, तो कहीं भी हो, दौड़ कर मेरे ऊपर चढ़ जाता, और मुझे खूब प्यार करता.. वैसे सच बोलूं... सबसे जयादा प्यार वो मुझे ही करता था.. क्यूंकि मैं उसे गोदी लेती थी.... और बाकी कोई नहीं....
 
"मम्मी रोज़ संध्या के वक़्त आरती करती थी....और जैसे की आरती करते वक़्त घंटी बजाते ही हैं.. पता नहीं उसको क्या होता, घंटी की आवाज़ सुनते ही, कहीं भी होता, भाग कर मम्मी के पीछे आकर खड़ा हो जाता, और पूरी आरती सुनता था... और इतने प्यार से बैठ कर, दोनों कान ऊपर करके, शांत बैठता था.. आरती ख़तम होने के बाद, मम्मी पहला प्रसाद उसे देती, और बोलती की तुम लोग तो कोई आरती मैं आते नहीं हो.. पीटर आरती attend करता है, इसलिए पहला प्रसाद का हिस्सा वो पीटर को देती थी.. और बाद मैं हम सबको....   :)  :)"
 
"मेरे 6th class के final exams शुरू होने वाले थे... और मैं maths में  काफी कमज़ोर थी.... पापा रोज़ ऑफिस से आने के बाद मुझे maths पदाते थे... ऐसे ही एक दिन वो मुझे एक sum समझा रहे थे...पापा ने मुझे काफी बार वो एक sum समझाया और बोले की अब तुम करके बताओ....पर मैं उसे नहीं कर पायी.. पापा ने फिर बताया और मैं फिर नहीं कर पायी.. यह देखकर पापा को गुस्सा आया और पापा को गुस्सा आया और उन्होंने मेरे ऊपर कॉपी फेकी, पीटर दूर बैठा यह सब देख रहा था... इसलिए पीटर  दौड़ कर आया और पापा को गुर्राया और पंझा भी मारा और मेरे उपर चढ़ कर, मेरे गालों को चाटने लगा... यह देख कर पापा का गुस्सा भी शांत हो गया और मुझे आश्चर्य हुआ की, पीटर मुझसे कितना प्यार करता है... इनके अन्दर भी कितनी feelings होती है... यह एक ऐसी बात है, जो मैं मरते दम तक नहीं भूल सकती.... आज इस बात को कितने साल गुज़र गए हैं.. पर आज भी यह याद मेरे दिल मैं ताज़ा है...
"
 
पीटर तुम बहुत याद आते हो.... ...........
 
 

7 comments:

  1. rachna bachpan kai deen tumnai yaad dila diyai. kya din thai wo bhi aaj bhi yaad aatain hain..

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  2. i can understand the feelings..time always carries some or other incidences which we have lived and cherished, but life goes on..

    It would have been so good, if we had a reverse button, when we could go back and exprience the same again

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  3. nice post di....yes I also remb ur bdy we celebrated at Rampur...u remb?

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  4. Yes Shanu.. how can i forget? That was the most beautiful days in my life.. you all came to rampur and bua made my two hair pallates.. :)

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  5. Its realy touching story.In todays world people hate each other they dont care,love and give time to each other,u loved ur pet PETER so much,its amazing.U r just ocean of love.Peter was surly lucky who had friend like u.

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  6. Thanks Chetan for your precious comments !!!

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